सोच और विकास

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सोचे और आगे बढ़े।
जीवन मे हम सदैव किसी विशेष के लिए प्रयास करते हैं। कुछ सिर्फ जैसा चला आ रहा है उसमें ही मस्त रहते हैं। दुनिया मे परिवर्तन ही मुख्य हैं।

जीवन जोकि सदियों से चले आ रहे प्रयास का क्रमबद्ध विकास हैं। पहले लोग नंगे रहते थे और बिना घरों के गुफाओं और कंदराओं में रहते थे। पेड़ पौधों की पत्तियां और फल फूल खाकर गुजरा करते थे।

तो क्या आज हम उस समय से लाखों कदम आगे विकसित जिंदगी नही जी रहे हैं। क्या आज हमने परिवर्तन को अंजाम नही दिया हैं। क्या हम आज दिन रात नए की होड़ में नही लगे हुए हैं।
कोई भी परिवर्तन सोच और आगे बढ़ने की जिद्द से शुरू होता है। आज 21 सदी में शिक्षा से लेकर रहनसहन सबकुछ सोच और विचारो की देन हैं।
आज जैसी सोच हमारे मन मस्तिष्क में होगी वैसी राह जीवन की सुचारू होगी।

आज जीवन का दृष्टिकोण और नयापन सबकुछ समय व सोच से तय हैं। जीवन का हर कदम शिवाय सोच के सम्भव नही हैं।
अतः युवाओ को विशेषकर मैं सोच और आगे बढ़ने की विचारधारा को अमल में लाना होगा। तभी भविष्य विकसित होगा।
मेरा अनुभव रहा है कि आप अपने जीवन को कैसे और कितना व अन्य के अनुसार दबाव से जीते हैं। जीवन मे कभी भी आप बिना दबाव के जितना जीवन स्वयं की सोच से जीते चले जायेंगे उतना ठीक रहेगा।