उच्च व नीच कर्म

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जीवन मे इतना कठोर बन जाओ की जैसे जिम जाने के बाद डोले शोले। जीवन मे सदैव एक बात का ध्यान रखना की जब आप कुछ विशेष बनना चाहते हैं। तो आपको आम लोगो से ज्यादा तकलीफ और कीमत अदा करनी पड़ेगी।
जीवन मे यदि आप आम लोगो से ज्यादा कीमत अपने तय कार्य और लक्ष्य को नही देंगे तो आपका लक्ष्य आपके लिए कभी हासिल नही होगा।
जितना ज्यादा तकलीफ और संघर्ष वाला लक्ष्य होगा। उतना ज्यादा आपका इतिहास होगा। योंही कोई क्यो महाराणा प्रताप और शिवाजी को आज भी याद करते हैं। उस समय ऐसे लाखो लोग थे। लेकिन ये उनसे कुछ बिरले और संघर्ष में आगे थे।
मैं अक्सर अपने मोटिवेशन सेमिनार्स और स्पीच में कहता हूँ। कि ऐसे ही कोई विशेष नही बन जाता। विशेष के लिए कीमत तो अलग चुकानी पड़ेगी।
जिसमे आपके व्यवहार से संस्कार और बहुत कुछ लक्ष्य के अनुसार चलकर लक्ष्य की कीमत चुकानी पड़ेगी।
यदि मुश्किल और उच्च लक्ष्य यदि अचानक और आसानी से मिल जाए तो फिर आम और ख़ास की क्या वैल्यू रहेगी।
जीवन मे किसी भी वस्तु या व्यक्ति की वैल्यू मुश्किल और कठिन कामो को करने से होती हैं। जितना कठिन लक्ष्य उतना ज्यादा नाम और वैल्यू।
जितना साधारण कार्य उतनी कम वैल्यू। जितना जटिल और संघर्षो भरा जीवन उतना ज्यादा वैल्यू।
जिस दिन आप जीवन मे कठिन लक्ष्य बनाकर जीवन को औरों से अलग कुछ करने और बनने की जिस दिन सोच पैदा कर दोगे। उसी दिन समझो आपकी वैल्यू सदा के लिए दुनिया की नजर में विशेष बन जाएगी।
मैं अपने जीवन मे इसी मूलमंत्र को संचित करके इसी मन्त्र पर चलता हूँ। जीवन मे ज्यादा कुछ तभी किया जा सकता हैं। जब जीवन मे तकलीफों और मुसीबतों का दौर आये। बिना संघर्ष के जीवन मे विशेष हासिल नही हो सकता।
यदि कोई युवा या बुजुर्ग कहे कि मेरे जीवन मे कभी मुश्किल समय या दौर नही आया तो समझो वो सिर्फ साधारण इंसान हैं। क्योंकि जितना सरल जीवन उतना सरल लक्ष्य या जीवन।
मैं या आप कोई भी जीवन किसी क्षेत्र में उस क्षेत्र की कार्यप्रणाली के अनुसार तय होता है। कि कैसे आगे बढ़े।

जीवन का सार यही है। खिलाड़ी की मेहनत किसान से अलग है। डॉक्टर की मेहनत मजदूर से अलग हैं। सेना की मेहनत शिक्षक से अलग हैं। प्रत्येक क्षेत्र की मेहनत अलग व कुछ हटकर हैं।
जीवन मे मेहनत 2 तरह की होती हैं। मानसिक और शारीरिक। मानसिक मेहनत उनको करनी होती हैं। जो शिक्षा से जुड़े हुए हैं। शारीरिक मेहनत उनको करनी पड़ती हैं। जो अशिक्षित हैं।
इन दोनों क्षेत्रों में भी आंतरिक स्तर पर मेहनत और कर्म का विचार होता हैं।
जीवन मे कही न कही विशेष बनने के लिए संघर्ष तो करना ही पड़ेगा अतः संघर्ष की राह को बेकार मत मानो। संघर्ष की राह ही आपको आपके लक्ष्य तक पहुँचाएगी।

जीवन मे एक दिन मरना हैं। यह निश्चिंत हैं। लेकिन गरीब और लाचार और बिना विशेष कर्म के साधारण मौत मरना कही से भी आपके जीवन को सार्थक नही करता।
जीवन मे दो तरह के लक्ष्य होते हैं। उत्तम और निम्न। उत्तम लक्ष्य का उद्देश्य मानवता और विश्व मे अपने संघर्षो और कठिनाईयो से कुछ ऐसा कर जाना जिससे सदियों तक आपके लक्ष्य का फल लोगो व मानवता को मिले। उत्तम लक्ष्य में अमरता का वरदान छुपा हुआ हैं। जितने भी महान और विद्वान महापुरुष हुए हैं। उन्होंने अपने जीवन मे कुछ अलग व विशेष व संसार के लिए कठोर लक्ष्यों को तय करके चले इसलिए आ उनको दुनिया याद करती हैं।
निम्न और नीच कर्म जीवन मे सिर्फ अय्यासी और मौज मस्ती के लिए किए जाने वाले कर्म और संघर्ष को बताता हैं। निम्न और नीच कर्मो से आप संसार मे बुरी छवि और बुरे कर्मो के लिए याद किये जाते रहेंगे। आपके कर्मों को तिरिस्कार मिलेगा। जोकि आपके संसार मे आने से जाने तक की यात्रा को बुरा और घिनोना निचोड़ रहेगा।
ऊपर लिखे लेख के माध्यम से मैं आपको जीवन मे सदा ऐसे कर्म करो कि जीवन मे आप सदा सम्मानित होकर जिये। लोग आपको सदा सम्मानित कर्मो के लिए याद करे। आपके संसार से जाने के बाद भी पीढ़ियों तक आपके वंश को आप पर नाज हो। यह लेख युवाओ को समर्पित हैं। एक नए लेख के साथ फिर मिलता हूँ।
आपके कैरियर से जुड़े किसी भी प्रकार के सवाल के लिए आप मेरे मेनू बार के Question पेज पर जाकर आप अपना प्रश्न डाल सकते हैं। मैं और इस ब्लॉग से जुड़े अन्य लोग आपके प्रश्नों के उत्तर देंगे।